TOP 3 Most unethical science experiments ever!!!!!
हेलो दोस्तों आज का topic बहोत interesting है और बहोत हैरान करने वाला भी। मैं जानती हूँ आप में से बहोत लोगो को इस experiment के बारे में नहीं पता होगा। तो चलिए शुरू करती हूँ।
जैसे की हम सबको पता है की विज्ञान में कुछ भी साबित करने क लिए पक्का evidence or proof होना चाहिए , इसी एविडेंस की मदद से ही साइंटिस्ट अपने एक्सपेरिमेंट को आगे बढ़ाते हैं ,किसी भी हाइपोथिसिस(hypothesis) को साबित करने क लिए सबूत होना बहोत जरूरी है। कई एक्सपेरिमेंट humans और animals में भी किये गए हैं जोकि बहोत अजीब है जिन्हे हम अब अगर पागल scientist भी बोले तो गलत होगा , आज ऐसे 3 साइंस एक्सपेरिमेंट मैं आप को बताऊगी जिससे आप के होश उड़ जाएयेंगे और ऐसे experiment पर रोक लगा दी गयी ह्यूमन राइट्स और एनिमल राइट्स क base पर।
ये हैं वो साइंटिस्ट जिसने इन एक्सपेरिमेंट्स को अंजाम दिया। ...
- Dr. Duncan Macdougall
सन 1907 में Dr. Duncan Macdougall ने एक एक्सपेरिमेंट किया जिसमे वो soul यानि आत्मा के वजन को calculate करना चाहते थे , हैं न अजीब सुनने में ? उन्होंने इस एक्सपेरिमेंट्स को अंजाम देने क लिए 6 मरीज को चुना जिनकी मौत होने वाली थी मतलब वो मरीज अपनी आखरी स्टेज में थे , उस साइंटिस्ट ने उन मरीजों के मरने से पहले उनको weight स्केल में उनका वजन लिया ताकि वो उनके मरने बाद के वजन से compare कर सके। ऐसा इसलिए क्युकी ऐसा माना जाता है की मरने क बाद आत्मा शरीर से निकल जाती है , इसी आत्मा का वजन वो मापना चाहता था।
- जब उसने पहले मरीज का वजन लिया तो मरने क बाद उसके वजन में 21 gm की कमी आयी लेकिन कुछ ही सेकण्ड्स बाद उनका वजन पहले जैसा ही हो गया।
- ऐसे ही दो और मरीज का वजन लिए गया और उनका वजन घटने की जगह बढ़ गया।
- तीसरे मरीज की वजन नहीं लिए जा स्का क्युकी उसकी मौत हो गयी थी।
- और बाकि बचे मरीज के वजन में अंतर् नहीं आया।
ऐसे ही सब मरीज का वजन अलग लग होने से उन्होंने ये conclusion निकाला की आत्मा जैसी कोई चीज नहीं होती है , वजन में अंतर् होने की जगह मरने क बाद बॉडी में होने वाली फैसिलोजिक्ल प्रोसेस है जैसे खून का जमना, केेमिकल रिएक्शन आदि।
बाद में सरकार ने वाले एक्सपेरिमेंट्स पर ban लगा दिया था।
2 . Dr. Robert e Cornish
सन 1934 में अजोबो गरीब एक्सपेरिमेंट हुआ था जिसमे मरे हुए लोगो को जिन्दा करने की kosish ki thi , hai na अजीबो गरीब , जीवन और मरण तो nature की क्रिया है जो आया है उसको जाना भी है, कुदरत क sath कैसे खिलवाड़ कोई कैसे कर सकता है।
- इस प्रयोग में साइंटिस्ट ने मेरे हुए लोगो को लिया , उनक ऐसा मानना था की अगर फिर से इनकी बॉडी में खून का प्रवाह शुरू किआ जाए तो वो जिन्दा हो सकते हैं ऐसा इसलिए क्युकी जब एक किसी की मौत होती है तो खून का प्रवाह रुक जाता है।
- उसके बाद मृत लोगो को ऊपर निचे किया जाता ताकि ब्लड circulate हो सके , लेकिन कोई भी जिन्दा नहीं हुए।
- उसके बाद ये एक्सपेरिमेंट मरे हुए कुत्तो में किआ गया जिसके लिए उन्हीने 5 मरे कुत्तो को प्रयोग में लाया , ओर उनमे ब्लड circulate किआ गया, surprisingly उन 5 कुत्तो में से 2 कुत्ते फर से जिंदा हो गए थे।
लेकिन इस तरह के प्रयोग को bane कर दिया गया क्योंकि ये animal abuse है।
3. Stanley milgram
ये एक्सपेरिमेंट 1963 में किआ गया था ये एक psychological experiment था , Stanley milgram जानना चाहते थे कि क्यों हिटलर के कहने पर उसके
कैसे उसके साथियों ने लोगो को bahut torture किया, इस प्रयोग के लिए उन्होंने दो लोगो को दो अलग कमरे में बैठाया, ऐसे में वो लोग एक दूसरे को सुन तो सकते थे पर देख नही सकते थे, इस एक्सपेरिमेंट में teacher को सीखने वाले से कुछ questions करने थे ओर हर गलत जवाब देने पर सीखने वाले को जबरदस्त बिजली का झटका दिया जाता था।
इस एक्सपेरिमेंट का conclusion ये था कि लोग अपने बॉस या अधिकारी की बात इसलये मानते थे ताकि उसके साथ वो क्रूर बरताव न किया जा सके, इसी क्रूरता के वजह से ही लोग अपने अधिकारी की बात मानते थे, इस क्रूरता के चलते लोगों ने बहोत विरोध किया इस एक्सपेरिमेंट का और सरकार द्वारा इसे ban कर दिया गया।
इस एक्सपेरिमेंट का conclusion ये था कि लोग अपने बॉस या अधिकारी की बात इसलये मानते थे ताकि उसके साथ वो क्रूर बरताव न किया जा सके, इसी क्रूरता के वजह से ही लोग अपने अधिकारी की बात मानते थे, इस क्रूरता के चलते लोगों ने बहोत विरोध किया इस एक्सपेरिमेंट का और सरकार द्वारा इसे ban कर दिया गया।
तो दोस्तो कैसी लगी ये post, सीखो और सिखाओ।
ऐसे ही बहोत से interesting or हैरान कर देने वालेडॉ. पोस्ट जल्द ही लाऊँगी।
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